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रविवार, 6 जून 2010

मेरी उबड़ -खाबड़ गज़लें - 1





(१)
मैं दुष्यंत तो नहीं , बनने की राह में हू
मैंने भी आपके थाल में कुछ परोसा है
अगर इसी तरह पढ़ते रहे मुझे, मेरे दोस्त
बन जाउगा एक दिन , मुझे पक्का भरोसा है ॥

(२)
इत्र भी इतनी खुशबू नहीं बिखेर सकता , जितनी आपकी सांसें ।
मयखाना भी मुझको नहीं पिला सकता इतना , जितनी आपकी आंखें ॥
(३)
फूलों में ऐसे रंग कहाँ , जैसे है आपके होठ
बड़ी मुश्किल से खोजा हू ,ये तो है पके अखरोठ ॥
(४)
फिसलती रही ऊँगलीया इसतरह ,तेरे मखमली गाल पर ।
फुदक रही गोरैया जैसे ,इस डाल से उस डाल पर ॥
(५)
क्या कमसिन बदन ,क्या कमसिन अदा ,और ये बहुरंगी चाल
जैसे कोई बच्चा घुटनों पर चल, पकड़ रहा रुमाल ॥
(६)
अगर डरना है तो खुदा से डर, लोग यूही डराया करते है ।
बालों को काला करने की ज़रूरत नहीं ,हम तेरे बुढ़ापे पे भी मरते है ॥
(७)
बादलों का रुख जान लेता हू , हवाओ को देखकर
मिजाज़ जान लेता हू आपका ,अदायों को देखकर ॥

5 टिप्‍पणियां:

  1. इत्र भी इतनी खुशबू नहीं बिखेर सकता , जितनी आपकी सांसें ।
    मयखाना भी मुझको नहीं पिला सकता इतना , जितनी आपकी आंखें ॥

    .........very nice Baban ji
    Dhananajay kumar Mishra

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  2. बिहार सरकार के जल -संसाधन विभाग में सहायक अभियंता ...hum bhi uttar pradesh sarkaar ke ek vibhag mein aapke bhai hain
    aapki abhivyakti umda hain.....lekin facebook par hi samay milta hain so aapse nivedan hain ki aap apna blog samay samay par share kare FB par ....
    Bahut Bahut Umada...............Thanks Babban Bhai.....keep It Up and be with Us !

    जवाब देंहटाएं
  3. क्या कमसिन बदन ,क्या कमसिन अदा ,और ये बहुरंगी चाल

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  4. अतयन्त भावुक लोगों ने अपनी भावनाये दी है

    ये नारी अति भारी
    उकसाती बनने को दुराचारी
    स्वेत बदन पीत लिवास
    अन्गो का प्रदर्शन जारी


    झाक कर देखो
    अपने मन मे
    जीवन मे

    जान तुम पिछॆ की कहानी
    जानी हो मत बनो अजानी

    जानो तुम इन लोगो कि कहानी ‘

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