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गुरुवार, 24 जून 2010
मैं तुम्हे पढना चाहता हु ...
तुम्हारी बातें
एक -एक शब्द जैसे ॥
श्वासों का आना -जाना
किताब के पन्ने
पलटने जैसा ॥
तुम्हारी मुस्कराहट
कविता पढने जैसी ॥
तुम्हारी हँसी
ग़ज़ल की पंग्तिया ॥
तुम्हारी उम्र का
हर गुजरा वक़्त
एक अध्याय समाप्त होने जैसा ॥
तुम्हें समझना
एक समझ न आने वाली
रहस्यमई कहानी जैसा ॥
सचमुच, तुम्हें पढना
एक किताब पढने जैसा ॥
हे ! प्रिय !!!
मैं पढ़ूंगा तुम्हें जीवन -पर्यंत
क्योकि ....
तुम्हें पढ़ना अच्चा लगता है ॥
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behtreen shabdon ka chayan !!
जवाब देंहटाएंshukriya Yaswant jee/
जवाब देंहटाएंyh samman dene ke liye/
प्रेम को पढते-पढते जीवन बीत जाये...इससे खूबसूरत जिंदगी और क्या होगी...उम्दा....
जवाब देंहटाएंहे ! प्रिय !!!
जवाब देंहटाएंमैं पढ़ूंगा तुम्हें जीवन -पर्यंत
क्योकि ....
तुम्हें पढ़ना अच्चा लगता है ॥
प्रेम की अनूठी अभिव्यक्ति, बहुत सराहनीय!
बहुत सुंदर
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