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बुधवार, 9 जून 2010

झूला

कई बार झूला हुं
सावन के झूले में
कई बार झूला हू
यादों के झूले में
और तेरी बाहों के झूले में भी
कई बार झूला हू मैं ॥

पर अब ये झूले
कोई गर्मी नहीं देती

कई झूले है
झूलने को अब मेरे पास
धर्म के झूले में झुलना
मेरी नियति है
बातों और वादों के
झूले में झुलना
हमारी दिनचर्या में है ॥
हमारे नेता हमें
झुलाते है ...रोलर -कोस्टर के
झूले में ॥
त्रिया -चरित के झूले में झुलना
एक रोज नए अनुभव से गुजरना है ॥

अफजल और कसाब
फांसी के झूले में कब झुलेगे
मुझे नहीं पता ॥
पर ......
हमारे विदर्भ के कई किसान
कपास की फसल बर्वाद होने के गम में
और .....
हरयाणा के खाप पंचायतों के
तुगलकी फरमानों से आजिज
कई युवक -युवतिया
ख़ुदकुशी के झूले में
झूलने को विवश हुए ॥

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