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बुधवार, 9 जून 2010

ख़ुदकुशी से पहले सोचो

(गुजराती कवित्री ख्याति शाह के अनुरोध पर एवं उन्ही को समर्पित )

ओ ....ख़ुदकुशी की दहलीज पर
बैठे हुए....मेरे दोस्त
तुम्हारे ख़ुदकुशी के कारणों पर
मैं नहीं बोलूगा ॥
क्योकि नाश होना एक नियति है ॥
मगर , ख़ुदकुशी के पहले सोचो ....

एड्स पीड़ित
कैंसर पीड़ित
और प्रिज़ोरिया से पीड़ित रोगी
यह जानने के बाद
कि वे मर जायेगे
साल -दो साल के अन्दर ....
फिर भी ...उनमें
जिजीविषा है ,यार !

एक तुम हो , मेरे दोस्त .....
ख़ुदकुशी करने की सोचते हो
क्या तुमने कभी सोचा
ये ख़ुदकुशी का मेडल
अपने माँ -बाप को पहना कर
उन्हें मजबूर कर दोगे .....
समाज में अपना मुह छिपाने के लिए ॥

एक सैनिक भी मरता है
मोर्चे पर ......
शहीद कहलाता है वह
हम उसे पूजते है ...

अगर समय मिले
दिल्ली में इंडिया गेट देख लो
शहीदों के नाम खुदे मिलेगें ॥

उसकी माँ ......
समाज में मुह नहीं छिपाती
छाती ठोक कर कहती है
मेरे कोख से एक सैनिक ने जन्म लिया था .....
-------------बबन पाण्डेय

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