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शनिवार, 17 जुलाई 2010

मैल

ओ !!
तालाब/नदी / झील के किनारे
रखे शिलापट्टो पर
कपड़ों को पटकते इंसान
कितनी आसानी से
छुड़ा देते ही मैल इसका ॥


एक हम है
लाखों बार प्रेम के पाठ पढ़े
लाखों बार यत्न किये
लाखों बार प्रवचन सुनें
लाखों बार सत्संग में भाग लिया
फिर भी
अपने अन्दर का
मैल धो न सके ॥

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