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मंगलवार, 13 जुलाई 2010

दिनचर्या

मैं नदियो पर बाँध बनाकर
और नहरें खोदकर ,
पानी किसानों के खेतों तक पहुचाता हू ॥
मैं सिंचाई विभाग में काम करता हू ॥


किसान कहते है
सर , जब फसलों में बालियां आती है
मेरे चेहरे में खुशियाली आती है ॥

पत्नी कहती है
जब किचन में लौकी काट देते हो
तुम अच्छे और सच्चे लगने लगते हो ॥



जब एक खिलाडी कम होता है
बच्चे कहते है ...
अंकल , बोल्लिंग कर दो न
कर देता हू ...
फिर कहते है ..थैंक अन्कल ॥

मैं बूढों से बतिया लेता हू
५ रुप्र्ये किलो घी की बात करते है वे
अच्चा लगता है सुनकर
फिर आशीर्वाद भी देते है ॥

आप क्या -क्या करते हो भाई
मुझे भी बताओ ॥


दोस्तों , एक काम गलत करता हू
हाथ -पैर से मजबूत आदमी के
कटोरे में सिक्का नहीं डालता ॥

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