अपनी  ओठों   के  चमच्च   से
अतीत  का शरबत
पिला  दो , प्रिय !!
वर्तमान  का  कड़वा   रस
मीठा   हो  जाएगा   ॥
अपनी  इन्द्रधनुषी  नयनो   का
नशीली    कटार
चला   दो , प्रिय !!
महंगाई   की   सुरसा   का
वध हो    जाएगा ॥
अपनी  मोरनी  सी  कमर
और  आषाढ़   की   जुल्फें
लचका   दो , प्रिय !!
मॉनसून   को   भी   पसीना
आ  जाएगा ॥
अपनी  रसबेरी    सी   बातें
और  मस्तानी   मुस्कान
फैला   दो , प्रिय !!
कैक्टस   में  भी  खुशबु
आ   जाएगा ॥

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