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मंगलवार, 13 जुलाई 2010

मेरी कविता को लिफ्ट करो

हे ! प्रभु !!
महंगाई की तरह
मेरी कविता को लिफ्ट करो ॥
सब मेरे प्रशंसक बन जाए
ऐसा कुछ गिफ्ट करो ॥


जब भारतीय नेता न माने
जनता -जनार्दन की बात
डंके की चोट पर
वोटिंग मशीन पर हीट करो
मेरी कविता को लिफ्ट करो


जब न पटे , हमारी - तुम्हारी
और काम न बने न्यारी -न्यारी
मत देखो इधर - उधर
दूसरी पार्टी में शिफ्ट करो ॥
मेरी कविता को लिफ्ट करो


जब कानून की जड़े हिल जायें
और न्याय व्यवस्था सिल जायें
रोओ मत , चिल्लाओ मत
तुरंत मीडिया को फिट करो ॥
मेरी कविता को लिफ्ट करो

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