समर्थन  मूल्य  पर अनाज  बेचकर , किसान   हुए   बेहाल
उत्पादों  का  स्वं  मूल्य  लगाकर , पूंजीपति   हुए  निहाल ॥
अरहर  दाल ९० रूपये  किलो ,  बोल- बोलकर   लोग  खूब  चिल्लाते
५ रूपये   के  टैबलेट  को , पूंजीपति  १०० रूपये  का  मूल्य  दिखाते  ॥
मंहगाई   का   दीया   दिखाकर , पूंजीपति   खूब   कमाते
कड़े -कड़े   नोटों   की   माला , नेताओं   को   पहनाते  ॥
चुनाव   के  वक़्त   दिया  था ,   नेताओं   को  चंदा
जी  भर  कर  दाम  बढाओ , कर  लो  गोरखधंधा ॥
दवा,  सीमेंट  और   लोहा  पर , सरकार   की  कुछ  नहीं   चलती
मंहगाई -मंहगाई  बोलकर ,किसानों  की छाती  पर दाल  दलती  ॥
इन्ही  कारणों  से  देश   में , अमीरी -गरीवी  की  खाई  बढ़  रही   है
धीरे -धीरे  अब  , मजदूर -किसानों   की त्योरी  भी  चढ़   रही   है   ॥

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