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गुरुवार, 1 जुलाई 2010

ओ ..मॉनसून के बादलों

ओ ! मॉनसून के बादलों
क्या तुम्हें भी लत लग गयी है
घूस लेने की
सरकारी नौकर शाहों की तरह ॥
बिना घूस लिए
तुम ठीक से नहीं बरसोगी क्या ॥

ओ ! मॉनसून के बादलो
क्या तुम्हें भी
लत लग गयी लेट आने की
हमारे नेताओ की तरह ॥
अब क्या
तुम्हे भी वोट चाहिए ॥


ओ ! मॉनसून के बादलो
क्या तुम्हें पता है
मेरे देश की अर्थव्यवस्था की
नीव हो तुम
बरसना तो होगा तुम्हें
ताकि ......
हर हाथ को काम मिल सके ॥

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