जो  खोजता   हू ,वह  मिलता    नहीं
जो   फटा   है ,वह  सिलता   नहीं
रिश्तों   की  काज   में , दोस्ती   का  बटन
लगा   लेता   हू ,तो   खोलता   नहीं ॥
मंहगाई  बढ़  गयी  ,तो  घटती  नहीं
इश्क  लग  गयी ,तो  छूटती   नहीं
ये  कैसी  दुनियां हो  चली   भाई
मछली  जल  बिन   तड़पती  नहीं ॥
अँधेरा   अब  रौशनी   से  डरता   नहीं
खा -खा  कर भी , पेट  अब भरता   नहीं
जमा खोरी  की आदत  जबसे  लगी   है
गरीबी  देख  दिल अब दहलता  नहीं ॥
इज्ज़त  लुटने   की  खबर   से
दिल  अब  घबराता   नहीं
साठ  की उम्र  में  शादी  कर  लूँगा
क्योकि  आदमी  अब  सठियाता  नहीं ॥

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