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गुरुवार, 29 जुलाई 2010

बनना चाहता हू डोर पतंग का

दोस्तों ....
मैं बनना चाहता हू
एक मजबूत डोर
उस पतंग का
जो माप लेना चाहता है
ऊंचाई आकाश की ॥


दोस्तों ....
मैं बनना चाहता हू
काले बादल
जिसे देख
बैरी पिया भाग कर
सजनी को गले लगाने
घर को आ जाए ॥


दोस्तों .....
मैं बनना चाहता हू
गुलाल
ताकि चिपक जाऊ
सबके कपोलों पर प्यार बनकर
जीत की ख़ुशी में
और तिउहार के कोलाहल में भी ॥


दोस्तों ....
मैं बनना चाहता हू
एक ऐसा सुगंध
जिसपर गुरुत्व का
कोई प्रभाव नहीं पड़ता
ताकि चहु दिशा उड़कर
संवेदनाओ में उपज रही दुर्गन्ध को
चिर कर हटा सकू ॥

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