वर्षा   में  नाले  जाम  है
नगर   निगम  वाला   आता  ही  होगा
दोषी  , और  मैं
क्या   कह  रहे  है   आप ?
मैंने  क्या  किया   भाई
बस
घर  के   थोड़े   से   कचड़े
पोलीथिन   में  बाँध  कर
नाले   में  इसलिए  डाल  दी
क्योकि ......
कचड़े   का  कंटेनर
मेरे  घर से मात्र  २०० फिट   दूर  है ॥
मैं   अफसर  हो कर
२००  फिट  दूर  क्यों  जाऊ
नाक   कट  जायेगी   मेरी
महल्ले वाले   क्या   कहेगे ॥
उधर , राजघाट   पर
एक   विदेशी  सज्जन  ने
लाइटर से  सिगरेट   जलाई
और  राख   एक  पैकेट   में  रखने  लगे
मैंने   कहा ....
आप  धुया   भी  पी  जाइए
बात , उनकी  समझ  में  आ   गयी
उन्होंने   सिगरेट   बुझाकर
अपने  पैंट   के  पॉकेट   में  रख  ली ॥ 
 
 

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शानदार व्यंग रचना, बधाई हो!
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-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा निरंकुश
सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है।
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